Class Central is learner-supported. When you buy through links on our site, we may earn an affiliate commission.

IGNOU

MHD-16 Bhartiya Upanyas

IGNOU via Swayam

Overview

Save Big on Coursera Plus. 7,000+ courses at $160 off. Limited Time Only!
एम.ए. हिंदी के द्वितीय वर्ष के वैकल्पिक मोड्यूल ‘उपन्यास का अध्ययन’ के पाठ्यक्रम एम एच डी-16 ‘भारतीय उपन्यास’ का पाठ्य विवरण यहां प्रस्तुत है । यह 4 क्रेडिट का पाठ्यक्रम है । एम. ए. हिन्दी के प्रस्तुत पाठ्यक्रम में तकषि शिवशंकर पिल्लै द्वारा मलयालम भाषा का उपन्यास ‘चेम्मीन’, अनन्तमूर्ति द्वारा कन्नड़ भाषा का उपन्यास ‘संस्कार’, पन्नालाल पटेल द्वारा गुजराती भाषा का उपन्यास ‘मानवीनी भवाई’ और महाश्वेता देवी द्वारा बांग्ला में लिखित उपन्यास ‘जंगल के दावेदार’ को इसमें शामिल किया गया है। इन्हें आप हिंदी अनुवाद में पढेंगे। उपर्युक्त चारों उपन्यासों में विभिन्न भारतीय भाषायी समाजों के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक यथार्थ का प्रभावशाली चित्रण किया गया है।‘चेम्मीन’ उपन्यास सर्वप्रथम 1956 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास में स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के संदर्भ में केरल के मछुआरे समाज के यथार्थ का प्रभावशाली चित्रण किया गया है। इस यथार्थ को त्रिकोण प्रेम कहानी के माध्यम से व्यक्त किया गया है।‘संस्कार’ उपन्यास कन्नड़ साहित्य के साथ-साथ आधुनिक भारतीय भाषाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कार’ एक ऐसे अग्रहार की जिंदगी की कहानी है जहां माधव ब्राह्मणों का निवास है। इसमें कोई शक नहीं है कि ‘संस्कार’ के माध्यम से अनंतमूर्ति का एक बड़ा प्रयोजन ब्राह्मण समाज खासतौर से माधव समाज की सड़ी -गली मान्यताओं और अंधविश्वासों पर कटाक्ष करना रहा है। 1970 में संस्कार उपन्यास पर बनी फिल्म इसकी प्रासंगिकता को स्पष्ट कर देती है।‘मानवीनी भवाई’ भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त गुजराती आंचलिक उपन्यास है। ग्रामीण जीवन को उसकी पूरी समग्रता में यहां प्रस्तुत किया गया है। ‘मानवीनी भवाई’ उपन्यास लोक चेतना को व्यापक फलक प्रदान करता है। इस उपन्यास की कथावस्तु कालू -राजू की प्रणय कथा और ‘छप्पनिया अकाल’ से दु:ख भोगते ग्रामवासियों की व्यथा-कथा जैसी दो धाराओं में आगे बढ़ती है। मुख्य कथा के समानांतर कितने ही गौण पात्र तथा घटनाएँ कथा- प्रवाह को गति देने में सहायक सिद्ध होती हैं।‘जंगल के दावेदार’ उपन्यास 1895 से 1900 तक के मुंडा विद्रोह के नायक बिरसा मुंडा के संघर्ष की महागाथा है। अन्याय को समझने के लिए अक्षर जरूरी नहीं होते अन्याय का दंश ही काफी होता है। अन्याय के विरुद्ध विद्रोह का स्वर ही इस उपन्यास का मूल है। संघर्ष कभी समाप्त नहीं होता, इसका अंत हो ही नहीं सकता पराजय से संघर्ष का अंत नहीं होता। यह संदेश महाश्वेता देवी ‘जंगल के दावेदार’ में देती नजर आती हैं। जंगल परंपरागत रूप से आदिवासियों का है और वह उन्हीं का रहेगा।उपर्युक्त चारों उपन्यास अपने अपने उद्देश्यों को लेकर बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। यह पाठ्यक्रम भारतीय समाज में अंतर्निहित विविधाताओं और विशिष्टताओं को समझने में अवश्य सहायक सिद्ध होगा।

Syllabus

एम एच डी-16: भारतीय उपन्यास

सप्ताह

ई-सामग्री (पीडीएफ/ई-बुक्स)

सप्ताह–1

इकाई-1: तकषि शिवशंकर पिल्लै: व्यक्तित्व और कृतित्व

सप्ताह–2

इकाई-2: ‘चेम्मीन’: युग परिवेश

इकाई-3: ‘चेम्मीन’: विषय वस्तु, कथानक एवं पात्रसृष्टि

सप्ताह–3

इकाई-4 : ‘चेम्मीन’ में कथन तंत्र: मिथ एवं भाषा का प्रयोग

सप्ताह–4

इकाई-5: ‘चेम्मीन’ का मूल्यांकन

सप्ताह–5

इकाई-6: अनंतमूर्ति का लेखकीय परिवेश

सप्ताह–6

इकाई-7: ‘संस्कार’ की सामाजिक चेतना

सप्ताह–7

इकाई-8: ‘संस्कार’ की पात्र योजना

सप्ताह–8

इकाई-9: ‘संस्कार’ एक मूल्यांकन

सप्ताह–9

इकाई-10: पन्नालाल पटेल का जीवन परिचय और कृत्तित्व

इकाई-11: पन्नालाल पटेल का युग संदर्भ

सप्ताह–10

इकाई-12: ‘मानवीनी भवाई’ की कथावस्तु और विशेषताएं

सप्ताह–11

इकाई-13: ‘मानवीनी भवाई’ का मूल्यांकन

सप्ताह–12

इकाई-14: पन्नालाल पटेल की रचनाशीलता

सप्ताह–13

इकाई-15: महाश्वेता देवी : व्यक्तित्व और कृतित्व

इकाई-16: बांग्ला उपन्यास साहित्य और महाश्वेता देवी

सप्ताह–14

इकाई-17: ‘जंगल के दावेदार’ सामाजिक चेतना

सप्ताह–15

इकाई-18: कथानक एवं चरित्र चित्रण

सप्ताह–16

इकाई-19: ‘जंगल के दावेदार’: एक मूल्यांकन

Taught by

डॉ. राजवंती

Tags

Reviews

Start your review of MHD-16 Bhartiya Upanyas

Never Stop Learning.

Get personalized course recommendations, track subjects and courses with reminders, and more.

Someone learning on their laptop while sitting on the floor.