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पाठ्यक्रम परिचयएम.एच.डी.07 ‘भाषा विज्ञान और हिंदी भाषा’ एम.ए. हिंदी ऑनलाइन के विद्यार्थियों के लिए 8 क्रेडिट का अनिवार्य पाठ्यक्रम है । इस पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा, उसकी संरचना, संरचनात्मक इकाइयों और उसके ऐतिहासिक संदर्भों को स्पष्ट किया गया है । एम.ए. हिन्दी के विद्यार्थी के रूप में भाषा का पाठ्यक्रम पढ़ना अनिवार्य होता है क्योंकि यह माना जाता है कि भाषा के सम्यक ज्ञान के अभाव में साहित्य का अध्ययन भी अधूरा होता है । दूसरे शब्दों में कहें तो साहित्य के अध्ययन में भाषा, उसकी संरचना, भाषा की आर्थी संरचना आदि का ज्ञान अत्यंत उपयोगी है । इस पाठ्यक्रम को अध्ययन की सुविधा के लिए तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है - भाषा विज्ञान, हिंदी संरचना और अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान । यह तीनों भाषा विज्ञान के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं । भाषा विज्ञान के अंतर्गत आप भाषा और संप्रेषण, भारत में भाषा चिंतन, भाषा विज्ञान की पाश्चात्य परंपरा, संरचनात्मक भाषा विज्ञान, नाओम चोम्स्की तथा रूपांतरण निष्पादन व्याकरण का सिद्धांत, समाज भाषा विज्ञान और हिंदी भाषा क्षेत्र के विषयों पर अध्ययन करेंगे । इसमें आप भाषा विज्ञान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा भाषा विज्ञान की प्रमुख अवधारणाओं से परिचित होंगे । इस पाठ्यक्रम में प्रमुख रूप से प्राचीन भाषिक चिंतन के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक युग में भाषा विज्ञान के आविर्भाव की चर्चा की गई है और भाषा विश्लेषण की प्रविधि का संक्षिप्त परिचय दिया गया है । हिंदी संरचना के अंतर्गत ध्वनि संरचना, रूप तथा शब्द संरचना, वाक्य संरचना आदि घटक व्यवस्थाओं का विवेचन किया गया है।इस पाठ्यक्रम के निर्माण में हमारा यह उद्देश्य रहा है कि आप भाषा विश्लेषण की प्रक्रिया से परिचित हों तथा आपको विश्लेषण के समय उपस्थित समस्याओं की भी जानकारी हो । इसलिए इसमें ध्वनि संरचना आदि प्रकरणों में सिर्फ संरचना का वर्णन ही नहीं किया गया है बल्कि संरचना के संदर्भ में उठी समस्याओं पर विद्वानों के मत मतांतर को भी प्रस्तुत किया गया है । अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के अंतर्गत भाषा से संबंधित अनुप्रयोग के क्षेत्रों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । भाषा के अध्यापक और भाषा विज्ञान से संबंधित कुछ क्षेत्रों में काम करने वाले भाषा विज्ञान के सिद्धांतों का अपने क्षेत्र में अनुप्रयोग करते हैं, जैसे भाषा के अध्यापक और भाषा शिक्षण से संबंध अन्य कई विद्वान, अनुवादक, साहित्य की भाषा-शैली का अध्ययन करने वाले कोशकार आदि । इस कारण इनके विषय क्षेत्र को अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (अप्लाइड लिंग्विस्टिक्स) की संज्ञा दी जाती है । अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान का क्षेत्र आजीविका का क्षेत्र है । इसके अध्ययन से हम एक तो भाषा के अनुप्रयोग को समझ सकते हैं दूसरा इनमें से किसी क्षेत्र में यदि हमारी रुचि जागृत हो तो अपनी आजीविका की दृष्टि से उसका विकास भी कर सकते हैं । इस तरह इस पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा के संदर्भ में तीन महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालने का प्रयत्न किया गया है । भाषा विज्ञान क्या है?, हिंदी भाषा की रचना को इन सिद्धांतों के आधार पर कैसे वर्णित करें, और हिंदी भाषा के अध्यापन या उसके अनुवाद में हम भाषा विज्ञान के सिद्धांतों का कैसे और कहां तक उपयोग कर सकते हैं ?हम आशा करते हैं इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से आपको भाषा विज्ञान का सामान्य विशद परिचय मिलेगा और आप हिंदी संरचना के महत्वपूर्ण तत्वों को समझ पाएंगे । आप भाषा के विभिन्न प्रयोजनपरक संदर्भों को भी वैज्ञानिक ढंग से समझ पाएंगे और भाषा से संबंधित यह आधारभूत जानकारी भाषा, साहित्य, संचार आदि क्षेत्रों में आप के अध्ययन में सहायक होगी ।